Shimla Agreement 1972
पहलगाम हमला: पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों ने कायराना हमला करके 28 भारतियों को मार दिया जिसके बाद भारत सरकार ने CSC की बैठक में ये फैसला लिया की सिंधु जल समझौता को रद्द कर दिया जाए और इस समझौते को भारत सरकार ने रद्द भी कर दिया है | भारत सरकार द्वारा सिंधु जल समझौता रद्द करने के बाद पाकिस्तान से जानकारी आरही है की पाकिस्तान ने भी शिमला समझौता रद्द कर दिया है | आइये जानते है की शिमला समझौता है क्या ?

Shimla Agreement 1972 क्या है?
Shimla Agreement :आजादी के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के रिश्ते तनावपुर्ण रहे है | 1971 के युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान ने कूटनीति के जरिये शांति बनाये रखने की कोशिस की और उसके बाद दोनों देशो के बीच शिमला समझौता हुआ | जो 2 जुलाई 1972 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षरित किया था।यह समझौता दक्षिण एशिया की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है। शिमला समझौता एक द्विपक्षीय संधि थी, जिसका उद्देश्य 1971 युद्ध के बाद स्थायी शांति बनाये रखने और अच्छे संबंधों की स्थापना करना था। यह संधि दोनों देशों को युद्ध के रास्ते से हटकर कूटनीति और शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में आगे बढ़ने के लिए था |
शिमला समझौते के मुख्य बिंदु इस प्रकार से है:
द्विपक्षीय वार्ता का सिद्धांत: भारत और पाकिस्तान इस बात पर सहमत हुए कि सभी विवादों का समाधान शांतिपूर्ण और द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से किया जाएगा।
कश्मीर मुद्दे पर समझौता: कश्मीर सहित सभी मुद्दों का समाधान किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के बिना द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से ही किया जाएगा।
नियंत्रण रेखा (एलओसी) की स्थापना: 1971 के युद्ध ख़त्म होने के बाद, LOC को नियंत्रण रेखा के रूप में मान्यता दी गई, जिसका दोनों पक्षों द्वारा सम्मान किया जाएगा।
युद्धबंदियों की रिहाई: भारत ने मानवीय दृष्टिकोण से 93,000 पाकिस्तानी युद्धबंदियों को रिहा किया, जबकि पाकिस्तान ने भारतीय युद्धबंदियों को रिहा किया।
सीमा पर शांति बनाए रखना: दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि वे एक-दूसरे के खिलाफ बल का प्रयोग नहीं करेंगे और सीमा पर शांति बनाए रखेंगे।
सामान्यीकरण उपाय: दोनों देश डाक, दूरसंचार, व्यापार, यात्रा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को फिर से स्थापित करने पर सहमत हुए।
Shimla Agreement का आलोचना और विवाद
कश्मीर पर भारत की स्थिति कमजोर हुई?
कई विश्लेषकों का मानना है कि भारत ने युद्ध जीतने के बावजूद कश्मीर मुद्दे पर अधिक दबाव नहीं डाला, जिससे पाकिस्तान को फिर से अवसर मिला।
तीसरे पक्ष को बाहर करना
जबकि भारत ने यह निर्णय लिया कि कश्मीर मुद्दा केवल द्विपक्षीय रहेगा, पाकिस्तान ने बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाया।
वर्तमान में शिमला समझौते की स्थिति
22 अप्रैल 2025 में, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकवादी हमले के बाद, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान-आधारित आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया और सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया। इसके बाद में, पाकिस्तान ने शिमला समझौते को निलंबित कर दिया और भारत के साथ सभी द्विपक्षीय संधियों को स्थगित कर दिया।
आज भी भारत शिमला समझौते को अपनी पाकिस्तान नीति की आधारशिला मानता है, लेकिन पाकिस्तान द्वारा बार-बार आतंकी हमले करना और अंतरराष्ट्रीय अस्तर पर इस मुद्दे को बार बार उठाने के बाद यह संधि कमजोर होती दिख रही है। भारत का रुख स्पष्ट है: पहले आतंकी हमला और आतंकवाद बंद होने चाहिए तभी इस समझौते को आगे बढ़ाया जा सकता है और सभी मुद्दे केवल भारत और पाकिस्तान के बीच सुलझाए जाएंगे।
शिमला समझौता न केवल एक शांति संधि था, बल्कि यह दक्षिण एशिया में स्थिरता का प्रयास भी था। भारत ने अपनी नैतिक और कूटनीतिक ताकत का प्रदर्शन करते हुए युद्ध के बावजूद बातचीत का रास्ता चुना। हालांकि इसकी सफलता सीमित रही, फिर भी यह इतिहास में एक ऐसा अध्याय है, जो यह सिखाता है कि शांति के लिए संवाद और कूटनीति सर्वोत्तम उपाय हैं।
Important:
1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ, जिसके परिणामस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र हुआ और बांग्लादेश का निर्माण हुआ। इस युद्ध में भारत ने लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को युद्ध बंदी बना लिया और लगभग 13,000 वर्ग किलोमीटर पाकिस्तानी क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया। इस युद्ध के बाद दोनों देशों ने शांति स्थापित करने के लिए शिमला में वार्ता की, और उसके बाद शिमला समझौता हुआ |